आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में उच्च शिक्षा संस्थानों में नैक (NAAC) मूल्यांकन के महत्व पर विस्तृत परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह थे। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि किसी भी देश के विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है । इसलिए उच्चतर शिक्षा में अधिकता और गुणवत्ता दोनों की मूल्य की महत्ता है । एन.ए.ए.सी. की स्थापना संस्थानों को स्पष्ट-स्थिर मानदण्ड़ों के आधार पर अंतर्निरीक्षण तथा संस्थान की सहभागिता की प्रक्रिया के माध्यम से उसे अपने कामकाज के मूल्यांकन में सेवाएँ प्रदान करने के लिए हुआ है। ऐसे में उच्च शिक्षा संस्थानों का नैक से अच्छे ग्रेड से मूल्यांकित होना अत्यावश्यक है।प्राचार्य ने महाविद्यालय के शिक्षक- शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए नैक मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर बिंदुवार चर्चा की।
उन्होंने विस्तार से नैक मूल्यांकन से संबंधित प्रक्रियाओं पर रोशनी डाली। नैक के नवीनतम दिशा-निर्देशों पर चर्चा की। साथ ही नैक के उद्देश्यों को विस्तार से समझाया। बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को ले योजना बनायी जा रही है उससे नैक का महत्व भी अब बढ़ गया है। यूजीसी, रूसा और सरकार से अनुदान प्राप्त करने के लिए नैक से जुड़ना आवश्यक है। उन्होंने रिसर्च, पठन-पाठन, शिक्षा की क्वालिटी विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें सामुहिक रूप से सम्पूर्ण प्रयास कर अधिकतम नैक ग्रेड प्राप्त करना है।
उन्होंने संस्थागत मूल्य व सामाजिक उत्तरदायित्व, सर्वोत्तम विशिष्टताओं जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार से समझाते हुए कहा कि किसी भी संस्थान को उभरती हुई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। साथ ही पर्यावरणीय चेतना, व्यावसायिक नैतिकता,लैंगिंग समानता आदि मुद्दों के लिए मूल्यों का विकास करना होगा। संस्थान में पाठ्यचर्या, पाठ्येत्तर और प्रशासनिक गतिविधियों का उचित बुनियादी ढांचा पर भी उन्होंने बात की। इसमें नियमित अपग्रेडेशन और अच्छी तरह से सुसज्जित आइटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ समृद्ध पुस्तकालय सुविधा भी के महत्व को भी उन्होंने समझाया ।इसके अलावा एनएसएस सहित अन्य सामाजिक विद्यार्थियों से जुड़ी गतिविधियों के समुचित कार्यप्रदर्शन के लिए अनुकूलित वातावरण और सुविधाएं के विस्तार और डॉक्यूमेंटेशन पर भी उन्होंने बल दिया।
परिचर्चा में मुख्य रूप से डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ रत्ना कुमार, डॉ अजित कुमार बर्णवाल, डॉ विजय आइन्द, डॉ कुसुम रानी, डॉ कुहेली बनर्जी, डॉ अमित प्रसाद, डॉ नीना कुमारी, प्रो0 अविनाश कुमार,डॉ अवनीश मौर्य, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 सुमिरन कुमार रजक, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 विनोद कुमार एक्का, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, मो0 शारिक, एतवा टोप्पो, शंकर रविदास, रतन टोप्पो, मनोज तिर्की, निमाई मंडल, सुजीत मंडल एवं अन्य शामिल थे।